उड़द (विग्ना मुंगो) की आर्गेनिक खेती कैसे करें?

परिचय :
उड़द (विग्ना मुंगो) एक दल्हनी फसल है। इसे हम मूंग की दाल के नाम से भी जानते हैं। हमारे देश में उड़द का उपयोग मुख्य रूप से दाल के लिए किया जाता है। यह एक अल्प अवधि की फसल है जो 70 से 80 दिनों में पक जाती है। उड़द की दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है । उड़द की दाल की खेती मुख्य रूप से यूपी, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश या राजस्थान के सिंचित क्षेत्र में की जाती है।
मिट्टी और तापमान :
उड़द की खेती के लिए उत्तम जल निकासी वाली हल्की रेतिली दोमट मिट्टी का उपयोग किया जा सकता है। मिट्टी का पीएच 6. 5 से 7.8 के बीच में अच्छा माना जाता है।
उन्नत किस्म :
कृष्णा, टी 19, पैंट यू – 19, जे. वाई. पी, आरबीयू – 38, यूजी – 128 यह उड़द की प्रमुख उन्नत किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है।
खेती की तैयारी :
मिट्टी की अच्छी तरह से जुताई करके खेत को समतल कर लेना चाहिए। मिट्टी का उपचार एग्रो ग्रोथ बूस्टर से जरूर करना चाहिए।

बुआई का समय :
उड़द की 2 फसलें ली जाती है
- ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई मार्च-अप्रैल में की जाती है।
- वर्षाकालीन फसल की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है।
बीज का उपचार :
बिजाई से पहले फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए और जीवनकाल बढ़ाने के लिए बीज का उपचार एग्रो ग्रोथ बूस्टर के साथ करना चाहिए।
बीज की बुवाई करते समय बीज में उचित फासला होना चाहिए। दो बीजों का फासला 60 से 90 से.मी. का होना चाहिए।
खाद :
अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद के साथ एग्रो ग्रोथ बूस्टर का इस्तेमाल करना चाहिए।
सिंचाई :
बुवाई के समय खेत में नमी उचित मात्रा में होनी चाहिए, जिससे बीज का अंकुरण अच्छा होता हैं| गर्मियों में सिंचाई 5 से 8 दिनों पर करनी चाहिए। एग्रो एक्टिवेटर का प्रयोग सिंचाई में करने पर खेत में नमी लंबे समय तक बनी रहती है।
एग्रो ग्रोथ बूस्टर :
उड़द की बुवाई से 15 से 20 दिनों पर एग्रो ग्रोथ बूस्टर 30 मि.ली. और एग्रो एक्टिवेटर 05 मि.ली. 15 लीटर की टंकी में मिलाकर पहला स्प्रे करनी चाहिए। अच्छी पैदावार के लिए 15 से 20 दिनों पर पुनः स्प्रे करनी चाहिए।