Carrot Uses And Benefits, गाजर खाने के घरेलू उपयोग

Rate this post

गाजर खाने के घरेलू उपयोग

गाजर खाने के घरेलू उपयोग
Carrot Uses And Benefits

Carrot Uses And Benefits

गाजर अम्लता को नष्ट करती है, यकृत रोगों दूर करती है। गाजर में विद्यमान विटामिन कैंसर से बचाता है।

गाजर का रस ऐंटीसेप्टिक होता है, यह शरीर में किसी भी प्रकार की सड़न-क्रिया को रोकता है। गाजर के रस में इंसुलिन तथा अन्य लाभदायक हॉर्मोन बना देने का गुण भी होता है। इसमें म्युसिन नामक तत्त्व आंतरिक त्वचा के लिए मलहम का काम करता है।

गाजर में पर्याप्त मात्रा में बीटाकेरोटिन, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई तथा अनेक खनिज लवण लोहा, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, फास्फोरस, कैल्सियम आदि प्रोटीन एवं अल्प शर्करा विद्यमान है। गाजर रक्त की कमी को दूर करती है।

आयुर्वेदिक मतानुसार गुण-धर्म :
रुचिकर, हृदय के लिए हितकारक, पाचनशक्तिवर्द्धक, मूत्र बढ़ाने वाली, त्रिदोषशामक होती है। बवासीर, दमा, हिचकी, शुक्र दौर्बल्यनाशक, स्नायुसंस्थान के लिए बलकारक, रक्तशुद्धिकारक, कफ-वात निकालने वाली होती है। रक्तविकारनाशक, दुग्धवर्द्धक, पथरीनाशक, उदररोग निवारक होती है। खाँसी एवं सूजन दूर करती है। मूत्र की रुकावट एवं जलन को नष्ट करता है रक्त को क्षारधर्मी बनाकर त्वचा को स्वस्थ – सुंदर बनाने का गाजर में महत्त्वपूर्ण गुण है। जीवनीशक्ति बढ़ाता है। संधिवात, गठिया का निवारण होता है। इसमें विद्यमान विटामिन ‘डी’ हड्डियों और दाँतों के लिए उत्तम है।

गाजर को दोपहर के भोजन के पूर्व सलाद के
रूप में तथा रसाहार (जूस) के रूप में दोपहर के भोजन के तीन घंटे बाद अर्थात 3 से 4 बजे का समय उचित है। गाजर के दर्पनाश के लिए जीरा, राई और गुड़ का प्रयोग करते हैं।

इन्हें भी पढ़ें :

बिना दवा के हाई बीपी कैसे ठीक करें?

केला खाने से शरीर में होने वाले फायदे व नुकसान 

दुबलेपन का आयुर्वेद में क्या उपचार है ?

घरेलू प्रयोग :

अनिद्रा में – एक गिलास गाजर का रस नियमित सेवन करने तथा गाजर के सलाद का पर्याप्त मात्रा में नियमित सेवन करने से मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) अनिद्रा एवं कमजोरी दूर होती है। मस्तिष्क को पोषण मिलता है। स्नायु मजबूत होते हैं। शरीर में उपस्थित विजातीय द्रव्य पसीना एवं मल-मूत्र आदि उत्सर्जन मार्गों के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं।

कब्ज में – गाजर स्नायुओं के लिए बलकारक होने एवं रेशा की मात्रा भरपूर होने के कारण आँतों को स्वस्थ बनाती है एवं मल की रुकावट दूर कर कब्ज-निवारण में भरपूर भूमिका निभाती है। बवासीर रोग से बचाव होता है।

जोड़ों के दरद में – रक्त में यूरिक एसिड आदि बढ़ने से जोड़ों में विद्यमान साइनोवियल फ्ल्यूड (चिकनाई) समाप्त हो जाती है। जोड़ों के संचालन में बाधा आती है, कार्टिलेज एवं अस्थियों का क्षरण होने लगता है। गाजर का कैल्सियम एवं विटामिन डी हड्डियों एवं जोड़ों को स्वस्थ बनाने का काम करता है। यूरिक एसिड को बाहर निकालकर जोड़ों में लचीलापन बढ़ाता है, जिससे जोड़ों के दरद से मुक्ति मिलती है। जब गाजर उपलब्ध हों, तब नित्यप्रति सलाद या जूस के रूप में उपयोग करना चाहिए। गाजर क्षारीयता बढ़ाती है, जिससे अनेक रोगों से बचाव होता है।

माताओं को दूध की कमी में – गाजर का जूस माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए वरदान होता है। दूध पिलाने वाली माताओं को दूध की कमी होने पर नित्यप्रति 250 ग्राम गाजर का जूस देने से दूध की मात्रा बढ़ती है या गाजर का हलुवा खाने के बाद एक गिलास गाय का दूध पिलाना चाहिए।

बच्चों के दाँत निकलने में कठिनाई – बच्चों के दाँत निकलते समय नित्य गाजर का रस सेवन कराने से आसानी से स्वस्थ दाँत निकलते हैं दूध ठीक तरह से पचने लगता है।

पीलिया तथा आँतों के अल्सर में – गाजर को अच्छी तरह धोकर गाजर का रस दिन में 2 – 3 बार एक-एक गिलास पिलाना लाभप्रद होता है। गाजर कृत (लिवर) तथा छोटी आँत और बड़ी आँत की क्रिया को ठीक करती है।

पेट में कृमि होने पर – पेट के कृमियों के कारण पेटदरद, वायुफुल्लता एवं आँव तथा बड़ी नाँत में सूजन जैसे कष्ट उभरते हैं। गाजर का रस खाली पेट नित्य सेवन करने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।

आधाशीशी में – नित्य होने वाले आधे सिर में तेज असहनीय दरद में गाजर के पत्तों पर घी चुपड़कर आग में थोड़ा सेंक लें, फिर पत्तों का रस निकालकर 2-2 बूंद रस नाक के छिद्रों में टपकाएँ। इससे छींकें आएँगी तथा दरद दूर होगा।

पथरी में – मूत्राशय की पथरी में गाजर का रस शलजम के रस के साथ मिलाकर 2 माह तक नियमित पीने से पथरी गलकर निकलती है। पथरी बहुत बड़ी हो तो ऑपरेशन द्वारा निकलवाना उचित रहता है।

कष्टप्रद मासिक धर्म (कष्टार्त्तव) में  महिलाओं के कष्टार्त्तव रोग में गाजर के बीज 10 ग्राम तथा गुड़ 25 ग्राम लेकर दोनों को एक गिलास पानी में उबालें और काढ़ा बनाकर मासिक धर्म के 10 दिन पहले से नित्य सुबह-शाम सेवन कराएँ, इससे मासिक की रुकावट दूर होगी। गर्भाशय के दोषों की निवृत्ति होगी।

एक्जिमा इत्यादि चर्मरोगों में – कद्दूकस से गाजर कस लें तथा उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर एक्जिमा वाले स्थान पर पुल्टिस लगाकर रखें। नियमित प्रयोग जारी रखें तथा इन दिनों भोजन में सफेद नमक को बंद रखें। पूर्णतः बिना नमक का भोजन लाभ होने तक करें। उपचार के दिनों में गाजर एवं दूध का ही सेवन करें, तो लाभ जल्दी मिलता है। चर्मरोगों में सफेद नमक का सेवन हानिकारक होता है। प्राकृतिक आहार फल या सलाद तथा सूप-जूस इत्यादि रक्त को शुद्ध करने में अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। समयसाध्य रोग होने से इसका उपचार लंबे समय तक चलाने पर लाभ होता है।

क्षय रोगों में – गाजर को कसकर उसे बकरी के दूध के साथ धीमी आँच पर गरम करें, थोड़ी र पकाने के बाद दूध को छानकर ठंढा कर दिन में 2-3 बार सेवन करते हैं।

गर्भ की सुरक्षा हेतु उपरोक्त प्रयोग से महिलाओं के गर्भस्राव रोग में पहले माह से ही सेवन कराने से लाभ होता है।

खूनी दस्त में – खूनी दस्त में गाजर का रस 100 ग्राम लेकर उसमें उतनी ही मात्रा में बकरी का दूध मिलाकर सेवन कराने से लाभ होता है।

पिंडलियों में ऐंठन – इस रोग में गाजर को भूनकर मिसरी के साथ सेवन कराने से पिंडलियों की ऐंठन दूर होती है।

इन्हें भी पढ़ें :

हमारी वेबसाइट पर जाएं IMC HERBAL INDIA

आयुर्वेद की जानकारी के लिए वेबसाइट पर जाएं

हमारे यूट्यूब चैनल पर जाएं IMC HERBAL INDIA

गाजर की खीर – 250 ग्राम गाजर को अच्छी तरह धोकर, कसकर आधा किलो दूध में डालकर स्वाद के लिए इलायची आदि मिलाकर धीमी आग पर पकने दें। पकने के पश्चात उसमें मिसरी मिलाकर उतार लें। पाचनशक्ति अच्छी हो तो अन्य सूखे मेवे तथा घृत मिलाकर सेवन कराएँ। यह उत्तम पौष्टिक खीर है। जो शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।

हृदय की दुर्बलता में – हृदय रोग में गाजर लाभप्रद है। गाजर के मौसम में नित्य दोपहर के भोजन के 3 घंटे बाद एक गिलास गाजर का रस लेने से हृदय को बल मिलता है। रक्त की शुद्धि होती है।

स्वास्थ्यरक्षक पेय – एक पाव गाजर के रस में 5000 (आई.यू.) विटामिन ‘ए’ होता है।  लगभग 125 ग्राम गाजर कसकर एक गिलास दूध में पकाकर, छानकर चाय की तरह नियमित पिएँ। यह शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता को दूर करता है। मिठास के लिए खजूर, मुनक्का या गुड़ का प्रयोग करें। इसे गाजर की चाय कहते हैं।

निम्न रक्तचाप में – नियमित गाजर का रस 200 ग्राम सेवन करने से लाभ होता है।

मधुमेह में – अन्य शर्कराओं की अपेक्षा गाजर की शर्करा मधुमेह के रोगी आसानी से पचा सकते हैं। गाजर में प्राकृतिक रूप से इन्सुलिन होता है।नियमित 150 ग्राम गाजर के रस को 50 ग्राम पालक के रस के साथ सेवन करना चाहिए।

 

Leave a Comment