बैगन की खेती

परिचय
बैंगन सोलेनैसी जाति की फसल है, जो कि मूल रूप से भारत की फसल है। आमतौर पर इसकी खेती सब्जी के लिए की जाती है। हमारे देश के अलावा भी यह अन्य कई देशों की प्रमुख सब्जी की फसल है। बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं। यह विटामिन तथा खनिजों का अच्छा स्त्रोत है। चाइना सबसे बड़ा बैंगन का उत्पादक देश है। भारत बैंगन का पैदावार के मामले में विश्व के दूसरे नंबर पर आता है। हमारे देश में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान हैं।
भूमि का चुनाव
बैंगन एक लंबे समय की फसल है, इसलिए अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ रेतली दोमट मिट्टी उचित होती है और अच्छी पैदावार देती है। अच्छी फसल के लिए मिट्टी का पीएच 5.5-6.9 तक होना चाहिए।
उन्नत किस्म
बैंगन में रंग और आकार में काफी विभिन्नता पाई जाती है, रंग के आधार पर यह हरे, बैंगनी सफेद तथा थारीदार होते हैं और आकार के आधार पर गोल, अंडाकार लंबे तथा नाशपती के आकार के होते हैं। रंग और आकार के आधार पर अलग अलग पसंद किए जाते है। बैंगन की बहुत सारी उन्नत किस्में होती हैं जो अच्छी पैदावार देती है। हमें स्थानीय किस्में ही चुननी चाहिए जिसकी लोकल डिमांड हो।
पौधे तैयार करना
बीज की बुआई से पहले खेत की अच्छे तरीके से जुतई करनी चाहिए और फिर खेत को समतल करना चाहिए और खेत में आवश्यकता अनुसार बैड बनाना चाहिए जहां पर बीज की बुआई की जा सके।
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बीज की बुआई
ग्रीष्मकालीन फसल के लिए हमें जनवरी, फरवरी में बीज की बुआई करनी चाहिए। बीज की 1 से.मी. गहराई से बुआई करके मिट्टी से ढक देना चाहिए। बुआई से 21 से 25 दिन में बैंगन की पौध तैयार हो जाती है। 1 एकड़ बैंगन की खेती के लिए 300-400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बीज का उपचार
बैंगन के बीज का उपचार हमें एग्रो ग्रोथ बूस्टर से जरूर करना चाहिए। एग्रो ग्रोथ बूस्टर को पानी के साथ मिलकर जहां बीज की बुआई की जाती है उस पर हम 50 मि.ली. ग्रोथ बूस्टर को इस्तेमाल करेंगे। बीज का उपचार करने से बीज का अंकुरण अच्छा होता है और बीज सुरक्षित भी रहता है।
खाद
अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद के साथ ग्रोथ बूस्टर का इस्तेमाल करना चाहिए।
पौधे की रोपाई
बुआई के 21 – 25 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। अच्छी पैदावार के लिए पौधे को उचित दूरी पर लगाना चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 50-60 से.मी की रखनी चाहिए। पौधे की रोपाई शाम के समय करनी चाहिए और इसके बाद हल्की सिंचाई जरूर करनी चाहिए। सिंचाई करने से जड़ और मिट्टी का संपर्क अच्छा हो जाता हैं, मौसम के अनुसार 4 से 5 दिनों बाद फिर से सिंचाई करनी चाहिए।
एग्रो ग्रोथ बूस्टर
बैंगन की रोपाई के 25 से 30 दिनों पर ग्रोथ बूस्टर 30 मि. ली. या एक्टिवेटर 05 मि.ली. को 15 लीटर की टंकी में मिलाकर पहला स्प्रे करना चाहिए, अच्छी पैदावार के लिए 15 से 20 दिनों पर दोबारा स्प्रे करनी चाहिए। एग्रो ग्रोथ बूस्टर फूलों की संख्या और फलों की संख्या बढ़ाता है जिससे पैदावार बढ़ती है।